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Sunday, May 12, 2013

प्रतिपदार्थ का रहस्य? (Mystery of Antimatter)

सृष्टि में पदार्थ (Matter) का ही बोलबाला प्रभुत्व क्यों है उसके जुड़वां सहोदर प्रतिपदार्थ (Antimatter) का क्यों नहीं है, जबकि महाविस्फोट की घटना में जन्में दोनों सहोदर साथ साथ थे? लगता है साइंसदानों को इस गुत्थी का एक महत्वपूर्ण संकेत हाथ लगा है। 

विस्कोंसिन विश्वविद्यालय, मैडिसन (University of Wisconsin–Madison) के साइंसदानों ने आवेशहीन करीब-करीब द्रव्यमान शून्य उस बुनियादी कण का सटीक, परिशुद्ध मापन किया है जिसकी भौतिक शास्त्रियों को 1930 के बाद से ही बेतहाशा तलाश रही है, जिसे होली ग्रेल ऑफ फिजिक्स (Holy grail of physics) समझा जाता रहा है. 

चीन की एक एटमी भट्टी (Atomic plant) के नज़दीक चल रहे भूमिगत प्रयोग Daya Bay experiment के दौरान इस प्रतिपदार्थ कण एंटीन्यूट्रिनो (Antineutrino) का पता चला है. प्रतिपदार्थ के बुनियादी कण अव-परमाणुविक पदार्थ कण इलेकट्रोन, प्रोटोन, न्युट्रोन की मानिंद ही होते हैं जिनसे ये गोचर सृष्टि ( कायनात) बनी है. लेकिन दिक्कत यह है इन दोनों सहोदरों की जब भी भेंट होती उसकी परिणिति पारस्परिक विध्वंश, परस्पर विनष्ट होने में ही होती है. 

इस पृष्ठ पर जो पूर्ण विराम की जगह आप डॉट देख रहे हैं इसे यदि आकार में बढ़ाकर सौ मीटर कर दिया जाए तब इसमें मौजूद कार्बन परमाणु आप देख सकेंगे. ऐसे ही आप प्रतिकार्बन परमाणु को एक एंटीपृष्ठ के बिंदु को इतना ही आवर्धित करके देख सकेंगे. एक से दिखेंगे दोनों. लेकिन छू ना ना छू ना ना ...दोनों स्वाह हो जायेंगे. साथ में आप भी. परमाणु के अन्दर जो अव-परमाणुविक कण हैं केन्द्रीय भाग न्युक्लियस है उसे देखने के लिए आकार में पृथ्वी के बाराबर आवर्धित करना पडेगा. प्रतिइलेकट्रोन (Anti electron), प्रतिप्रोटोन (Antiproton), प्रतिन्युक्लियस (Anti nucleus) भी बिलकुल ऐसे ही दिखाई देंगे हालांकि वह पदार्थ कणों के विपरीत स्वभाव आवेश, नर्तन आदि गुण लिए होंगे. 

कुछेक हज़ार हाइड्रोजन परमाणु प्रतिपदार्थ के साइंसदानों ने बना तो लिए हैं लेकिन इनकी जीवन लीला अत्यल्प होती है. स्वत: विखंडन हो जाता है इनका पल के भी पलांश में. और यदि प्रतिपदार्थ को आपने खुदा न खास्ता छू लिया तो आपका हाथ वाष्प बनके उड़ जाएगा. आखिर आप का शरीर सीढ़ीदार संरचना वाले अणुओं DNA की ही निर्मित है. ये जीवन के बुनियादी अणु स्वयं कार्बन हाइड्रोजन, ऑक्सीजन जैसे परमाणुओं से बने हैं. परमाणु के अन्दर अवपरमाणुविक कण हैं पदार्थ में भी प्रति पदार्थ में भी. प्रकृति के यिन (Yin) और येंग (Yang) हैं ये. जैसे रात और दिन, गर्मी और सर्दी. हर्ष और विषाद. ठंडा और गरम. जैसे कोई बच्चा समुन्दर किनारे गीली रेत में पाँव धंसा के एक घर बनाए. उसका बाहरी खोल पदार्थ हो और अन्दर का सूराख प्रतिपदार्थ. और रेत का ये घर जब गिरे तो खोल सुराख को भर दे. दोनों एक दूसरे के विलोम हैं. विनष्ट करने को आतुर रहते हैं. 

प्रकृति में जबकि प्रतिसमता है, सिमिट्री है फिर वह प्रतिपदार्थ कहाँ गया जो महाविस्फोट के बाद पदार्थ के संग ही उसके सहोदर के रूम में प्रकट हुआ था. उत्तप्त विकिरण ऊर्जा के पदार्थिकरण के फलस्वरूप. कोई नहीं जानता बिग बैंग हुआ ही क्यों? कहाँ गया प्रतिपदार्थ? क्या बिग बैंग के फ़ौरन बाद पदार्थ में उत्परिवर्तन हुआ? म्यूटेशन हुआ मैटर का? यिन और येंग एक दूसरे के विलोम न रहे. रेत के महल का खोल सूराख को फिर भर न सका? बहुत गहन प्रश्न है यह इसकी विवेचना फिर कभी. फिल वक्त पदार्थ के प्रभुत्व तक सीमित रखें खुद को. 

अब अन्तरिक्ष में तो व्यापक स्तर पर हाइड्रोजन गैस और धूल का बादल पसरा हुआ है अंतर-तारकीय स्पेस में. तारों के बीच की जगह खाली नहीं है. औसतन एक वर्ग मीटर में एक हाइड्रोजन परमाणु ज़रूर मौजूद हैं पूरी कायनात के स्तर पर. फिर पदार्थ प्रतिपदार्थ की भिडंत के फलस्वरूप गामा विकिरण के विस्फोट क्यों नजर नहीं आते? इसका मतलब हुआ प्रतिपदार्थ अल्पसंख्यक है, पदार्थ का ही प्रभुत्व है कायनात में. सृष्टि के आरम्भ में उस विधायक क्षण में जिसे हम बिग बैंग कहते हैं पदार्थ और प्रतिपदार्थ का एक सूप पैदा हुआ. लेकिन किसी अन्तरिक्ष विक्षोभ ने एक असंतुलन पैदा कर दिया यिन और येंग के बीच. 

मैडिसन विश्वविद्यालय में भौतिकी के आचार्य प्रोफेसर Karsten Heeger ऐसा ही मत व्यक्त कर रहे हैं. अब तक संपन्न सभी अध्ययनों ने किसी उल्ल्लेख्य अंतर का हवाला नहीं दिया है यिन और येंग में. पदार्थ और प्रतिपदार्थ में. फिर पदार्थ का सृष्टि में प्रभुत्व क्यों बना हुआ है? ज़वाब नन्ना न्युट्रिनो छिपाए हैं जो बहु-संख्या में मौजूद हैं. कण भी खुद ही है, प्रति कण भी. यिन का येंग है येंग का यिन. यही इस गुत्थी को सुलझाए तो सुलझाए. इसी पे टिक गईं हैं भौतिकी के माहिरों की निगाहें. एटमी भट्टी इनके उत्पादक उर्वर स्रोत हैं जिनके आसपास इनका डेरा रहता. योरोपीय न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर जिनेवा के नज़दीक भूमिगत लार्ज हेडरोन कोलाइदडर (Large hadron collider) और लार्ज इलेकट्रोन पोज़िट्रोन कोलाइडर (Large electron positron collider) में इन्हीं सवालों के हल ढूंढ रहा है. 

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INDIA-RUSSIA, India
Researcher of Yog-Tantra with the help of Mercury. Working since 1988 in this field.Have own library n a good collection of mysterious things. you can send me e-mail at alon291@yahoo.com Занимаюсь изучением Тантра,йоги с помощью Меркурий. В этой области работаю с 1988 года. За это время собрал внушительную библиотеку и коллекцию магических вещей. Всегда рад общению: alon291@yahoo.com