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Wednesday, May 22, 2013

प्राक् ऐतिहासिक वेधशालाओं में एक : स्टोन हेंज



पाषाणयुगीन मानव जब गुफाओं से बाहर निकला तो उसका प्रकृति के विभिन्न रूपों से परिचित और अचंभित होना प्रारभ हुआ। सूर्य का उगना, अस्त होना, चंद्रमा का घटना-बढ़ना उसकी उत्सुकता के सहज आकर्षण थे। कुछ भित्तिचित्रों (Rock Arts) में तो सूर्य, चंद्रमा के साथ-साथ ग्रहों यहाँ तक की कॉमेट्स का भी आभास मिलता है

इन खगोलीय पिंडों में सूर्य उसकी जिज्ञासा का प्रबल केंद्र बना। ऐसा शायद सूर्य से मानव का सर्वाधिक प्रभावित होना रहा हो। सूर्य के नियमित अवलोकन ने ही उसे आभास कराया कि इसके उदित होने का स्थान प्रतिदिन परिवर्तित होता रहता है (उत्तरायण और दक्षिणायन स्थिति), और शायद इसीलिए सूर्य द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करने का सिद्धांत भी अस्तित्व में आया हो; जिसके संशोधन के लिए आगामी खगोलविदों को काफी संघर्ष करना पड़ा।

सूर्य की गति के अध्ययन की इसी उत्सुकता ने उन मानवों को वेधशालाओं के प्रारंभिक चरण की नींव रखने को प्रेरित किया, जो स्वाभाविक ही पाषाण निर्मित थे। इंग्लैंड के 'स्टोन हेंज' (पत्थरों की बनी इस विशाल संरचना को शायद अपने कंप्यूटर के डेस्कटॉप आइटम में आपने देखा हो); ऐसी ही एक प्राचीन वेधशाला है।

वैज्ञानिक अभिमत इन्हें लगभग 2500 B.C. प्राचीन मानता है. ये लगभग 1500 वर्षों तक अध्ययन में प्रयुक्त होते रहे; और आवश्यकता  बुद्धि के विकास के अनुरूप इनके स्वरुप में चरणबद्ध रूप से क्रमिक विकास होता रहा। मिस्र के समान ही अंतिम संस्कार को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण मानने वाली इस सभ्यता का इस निर्माण के पीछे मूल उद्देश्य शवाधान भी था।


यह प्राचीनतम वेधशाला मुख्यतः सूर्य के अयनांत या Solstice (21 जून व् 22 दिसम्बर) जबकि सूर्य क्रमशः 'कर्क रेखा' व 'मकर रखा' पर लम्बवत होता है, के अध्ययन में प्रयुक्त होती थी। टनों वजनी इन विशाल पत्थरों को मीलों दूर से लाना और एक-के-ऊपर एक चढाने के लिए अपनाई गई तकनीक एक रहस्य ही है। जैसा कि हम जानते हैं कि आज भी काम करने वाले मजदूर अलग होते हैं, और अपनी देख-रेख में निर्माण करने वाले इंजिनियर अलग. तो आखिर इन निर्माणों के 'मूल योजनाकार' कौन थे!
 क्या  इस में  तत्कालीन  गणित, विज्ञान और आध्यात्म  के  विश्वगुरु भारत का  कोई योगदान भी था।   इस बात की प्रबल सम्भावना दिखाई देती है, . क्योंकि बिना तकनीकी सहयोग के ऐसा निर्माण तत्कालीन लोगों द्वारा संभव नहीं था।  

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INDIA-RUSSIA, India
Researcher of Yog-Tantra with the help of Mercury. Working since 1988 in this field.Have own library n a good collection of mysterious things. you can send me e-mail at alon291@yahoo.com Занимаюсь изучением Тантра,йоги с помощью Меркурий. В этой области работаю с 1988 года. За это время собрал внушительную библиотеку и коллекцию магических вещей. Всегда рад общению: alon291@yahoo.com