क्या विज्ञान ने भूतों की खोज कर ली ?
जंगल से गुज़रने वाली एक सुनसान पगडंडी से आप चले जा रहे हैं। जहां दूर दूर तक किसी आदमज़ाद का पता नहीं। अचानक एक आप ही की कद काठी का युवक पेड़ों के झुरमुट से निकलता है और आपके साथ चलना शुरू कर देता है। कुछ क्षण तो आप उसकी तरफ ध्यान नहीं देते, लेकिन जब वह आपसे पूछता है कि आप कहां जा रहे हो तो आप घूम जाते हैं और आपकी नज़र उसके पैरों की तरफ चली जाती है इसी के साथ आपके पैरों तले ज़मीन निकल जाती है। क्योंकि उस व्यक्ति के पैर पीछे की तरफ मुड़े हुए हैं। साथ ही ये पैर हवा में दो इंचऊपर उठे हुए हैं। अचानक वो तेजी से आपकी तरफ आने लगता है आप हाथ फैलाकर उसे रोकना चाहते हैं, लेकिन यह क्या? आपका हाथ तो उसके जिस्म से आरपार निकल जाता है।वह पूरा व्यक्ति आपके जिस्म से टकराकर उसके आर पार निकलता चला जाता है और आप को हवा का झोंका भी नहीं महसूस होता। फिर आप घूमकर देखते हैं तो पीछे कुछ भी नहीं दिखाई देता। यह पूरा दृश्य आपको बेहोश कर देने के लिए काफी है, और कहीं आप कमजोर दिलवाले हुए तो-------।
जी ये मैं रामगोपाल वर्मा की फिल्म की कहानी नहीं बयान कर रहा हूं बल्कि विज्ञानकी थ्योरी बता रहा हूं। सन 2007 में हार्वर्ड कालेज के भौतिकी के प्रोफेसर होवर्डजार्जी का एक शोधपत्र प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने कुछ नये कणों का आईडिया पेश किया जो कि वास्तव में कण नहीं होते हैं। इसलिए उन्होंने इन्हें नया नाम दिया---अकण
(Unparticle)। यह आईडिया वैज्ञानिकों को इतना भाया है कि अब तक इस पर सौ के लगभग शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। अकण पदार्थिक कणों और ऊर्जा कणों का मिला जुला रूप होते हैं।
जैसा कि वर्तमान विज्ञान कहता है कि दो तरंह के कण होते हैं, एक वह जो पदार्थ कोबनाते हैं । इन्हें फर्मियान कहा जाता है। दूसरे वो जो ऊर्जा को शक्ल देते हैं, इन्हें बोसॉन कहा जाता है। इलेक्ट्रान, प्रोटॉन इत्यादि फर्मियान हैं जबकि प्रकाश, ऊष्मा इत्यादि के कण बोसॉन हैं। दोनों तरंह के कणों में मूल अन्तर ये होता है कि फर्मियान में द्रव्यमान होता है और ये एक जगंह नहीं पाये जाते। यानि जिस जगंह एक फर्मियान होगा वहां दूसरा फर्मियान नहीं रह सकता। जबकि बोसॉन का कोई स्थिर द्रव्यमान नहीं होता। और एक ही जगंह पर कई बोसॉन रह सकते हैं।
जाहिर है कि फर्मियान से बना अगर कोई जिस्म है तो जिस जगंह वह जिस्म होगा वहां दूसरा जिस्म नहीं रह सकता। हम सब के जिस्म और पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर प्रकार का पदार्थ फर्मियान से बना हुआ है।दूसरी तरफ अगर बोसॉन की बात की जाये तो ये कण किसी जगंह पर होने के बावजूद वह जगह खाली रहती है और वहां फर्मियान या दूसरा बोसॉन आ सकता है। मिसाल के तौर पर प्रकाश। एक प्रकाश किरण अगर किसी जगह से होकर गुज़र रही है तो दूसरी प्रकाश किरण भी उस जगंह से गुजर सकती है बिना किसी रुकावट के। इसी तरंह बोसॉन आधारित एक्स किरणें आसानी से नर्म पदार्थ के आरपार निकल जाती हैं। बोसॉन कणों की सबसे बड़ी विशेषता ये होती है कि अगर इन कणों को रोक दिया जाये तो इनका द्रव्यमानशून्य हो जाता है।
लेकिन अनपार्टिकिल या अकणों का जो आईडिया पेश किया गया है उसमें द्रव्यमान तो होता है लेकिन बाकी गुण बोसॉन की तरंह होते हैं। यानि कई अनपार्टिकिल एक ही समय पर एक ही जगंह रह सकते हैं। इस हालत में उस जगंह का कुल द्रव्यमान उन सभी अकणों के द्रव्यमानों के योग के बराबर होता है। अनपार्टिकिल के जुड़ने से जो चीज मिलती है जाहिर है वह ‘अपदार्थ’ कहलायेगी। हालांकि अपदार्थ पदार्थ के साथ बहुत कम सम्पर्क बनाते हैं किन्तु इसकी संभावना हमेशा रहती है कि किसी घटना में वे पदार्थिक जिस्म के साथ सम्पर्क कर लें। जैसा किभूतों की कहानी में होता है। अपदार्थों के अपने
भौतिकी के नियम होते हैं जो पदार्थ भौतिकी से अलग होते हैं। जैसे कि उनकी अपनी ‘अनग्रैविटी’ होती है। जो पदार्थ की ग्रैविटी से अलग होती है। अपदार्थों को परिभाषित करना या पहचानना अत्यन्त मुश्किल है। क्योंकि इनकी पहचान लगातार बदलती रहती है। इसका द्रव्यमान, संवेग,आकार कुछ भी नियत नहीं होता।वर्तमान विज्ञान ब्रह्माण्ड की कुछ घटनाओं की व्याख्या करने के लिए डार्क मैटर का नज़रिया देता है। अपदार्थ का अस्तित्व सिद्ध हो गया है यानि प्रयोगों में इसे देख लिया गया है
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