छह जून को शुक्र पारगमन The Transit of Venus 06 June 2012
अपने परिक्रमा पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हुए जब सूर्य और पृथ्वी के बीच के ग्रह सूर्य और पृथ्वी की सीध में आते हैं तब इस घटना को पारगमन कहा जाता है। सूर्य और पृथ्वी के बीच शुक्र ग्रह के सीध में आने की घटना को शुक्र पारगमन कहा जाता है और बुध के सीध में आने की घटना को बुध पारगमन।
जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तब सूर्य ग्रहण होता है। जब बुध या शुक्र सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो उसे पारगमन कहा जाता है। चूंकि बुध और शुक्र ग्रह पृथ्वी से काफी दूर स्थित हैं इसलिए वे पारगमन के दौरान एक छोटा काला धब्बा बनाते हैं जो सूर्य की तीव्र प्रकाशित डिस्क पार करने के लिए कई घंटे लेता है।
छह जून 2012 को सुबह 5 बजे से 9 बजकर 52 मिनट तक सूर्य के भीतर शुक्र गृह की चाल देखी जाएगी। इस सदी की यह आखिरी शुक्र पारगमन की घटना होगी। लेकिन 2004 की तरह इस पारगमन के पूरे घटनाक्रम को हम यहाँ भारत में नहीं देख सकेगें क्यूंकि जब भारत में सूर्योदय होगा तो शुक्र पारगमन शुरू हो चुका होगा। इसके बाद यह खगोलीय घटना 105 साल बाद देखी जा सकेगी।
छह जून 2012 वाला शुक्र पारगमन 2004 के बाद 8 वर्ष वाला है और 2012 के बाद उक्त घटना के लिए 105 साल का इंतजार करना होगा।
वर्तमान पीढ़ी के लिए यह आखरी शुक्र पारगमन होगा।
कि इस घटना के वक्त पृथ्वी से देखने पर शुक्र सूर्य के सामने से धीमी रफ्तार में क्रिकेट की गेंद के आकार में गुजरता दिखाई देगा।
शुक्र पारगमन की घटना करीब छह घंटे तक चलेगी और यह नजारा पूरे भारत में देखा जा सकेगा।
इसके पूर्व 08 जून 2004 को शुक्र पारगमन हुआ था और इसके बाद इस वर्ष छह जून को होगा।
अप्रेल 2012 महीने खत्म होने के बाद मई महीने के अंत तक शुक्र सूर्योन्मुखी हो जाएगा और सूर्य की ओर चलने लगेगा। इस बार शुक्र जब सूर्य के निकट पहुंचेगा तब एक अद्भूत खगोलीय घटना घटेगी। दरअसल, 6 जून को जब सूर्योदय होगा तब शुक्र सूर्य के ठीक सामने से गुजर रहा होगा। यह घटना शुक्र का पारगमन अथवा संक्रमण कहलाती है। इसके बाद ऎसी घटना अगली बार 105 साल बाद यानी वर्ष दिसम्बर 2117 में फिर दिसम्बर 2125 में ही देखने को मिलेगी।
सूर्य की डिस्क के सामने से शुक्र का पारगमन ग्रहीय पंक्तिबद्धता की दुर्लभ घटनाओं में से एक है और यह घटना अति महत्वपूर्ण भी है।
दूरबीन के आविष्कार के बाद से सन 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 में केवल छह बार शुक्र पारगमन घटित हुआ है।
दूरबीन के आविष्कार के बाद से सन 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 में केवल छह बार शुक्र पारगमन घटित हुआ है।
1761, 1874 और 2004 का शुक्र का पारगमन भारत में पूरे प्रवेशकाल से देखे गए हैं जबकि छह जून 2012 के शुक्र पारगमन में प्रवेशकाल जा चुका होगा।
शुक्र का सूर्य परिक्रमा काल 225 दिन का और पृथ्वी का सूर्य परिक्रमा काल 365 दिन का होता है अर्थात दोनों का परिक्रमा काल एक सा ना होने के कारण दोनों एक साथ नोड से होकर नहीं गुजरती।
कहाँ कहाँ दिखेगा छह जून 2012 वाला शुक्र पारगमन व
सूर्य का अवलोकन कैसे करें और कैसे ना करें सूर्य का अवलोकन सुरक्षित फिल्टर या परोक्ष प्रक्षेपण पद्धति द्वारा किया जा सकता है। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए सौर फिल्टर का इस्तेमाल करके ही सूर्य की ओर देखना चाहिए। सुरक्षित सौर फिल्टर के बिना खुली आंखों से पारगमन की किसी भी कला को देखने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
दूरबीन से सीधे कभी नहीं देखना चाहिए। धुएंदार शीशों , रंगीन फिल्मों , धूप के चश्मों , न्यूटल पोलराइजिंग फिल्टरों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ये सभी असुरक्षित हैं।
शुक्र पारगमन की घटना को देखने के लिए श्याम पोलिमर फिल्म से बने फिल्टर भारत में कईं विज्ञान संस्थाएं उपलब्ध करवायेंगी।
अवलोकन के दौरान सावधानियां इस अद्भुत नजारे को देखने से पूर्व जांच कर लेनी चाहिए कि फिल्म को कोई क्षति तो नहीं हुई है। बच्चों द्वारा इसका प्रयोग बड़ों के निरीक्षण में किया जाए। एक बार में इसका प्रयोग रुक-रुककर कुछ सेकण्डों के लिए ही करना चाहिए। आंखों की शल्य चिकित्सा या आंखों की बीमारी होने पर इसका प्रयोग न करने की सलाह दी गई है।
Image Credit: www.exploratorium.edu |
छह जून 2012 को कहाँ कहाँ दिखेगा शुक्र पारगमन रूस, मंगोलिया, चीन, जापान, कोरिया, वियतनाम, अलास्का, न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, बर्मा, मलेशिया, भारत समेत अन्य पश्चिमी एशिया के देशो में दिखेगा।
भारत समेत अन्य पश्चिमी एशिया के देशो में पारगमन का सम्पर्क 1 व 2 सूर्योदय से पहले हो चुका होगा परन्तु महत्तम दशा और पारगमन का सम्पर्क 3 व 4 देखे जा सकेंगे।
भारत दिल्ली में शुक्र पारगमन समय |
शुक्र पारगमन 6 जून 2012 की समय सारणी
इस बार शुक्र ग्रह पारगमन का पथ भारत में हॉकी स्टिक जैसा बनेगा। शुक्र पारगमन समस्त भारत में तब शुरू हो चुका होगा जब सूर्योदय नहीं हुआ होगा। शुक्र पारगमन की पांच अवस्थाएं होती है जो शुक्र ग्रह के सूर्य पर पथ के अनुरूप होती हैं। सूर्योदय से पहले दो अवस्थाएं जा चुकी होंगी। जब सूर्योदय होगा तब शेष तीन पारगमन अवस्थाएं हम देख सकेंगे। इन पांच में से अवस्थाओं को पारगमन सम्पर्क कहते हैं और बीच की अवस्था को महत्तम पारगमन कहते हैं।
लगभग सारे देश के लिए शुक्र पारगमन 6 जून 2012 की समय सारणी इस प्रकार है। सम्पर्क एक यानी बाह्य अन्तः प्रवेश प्रातः 03:39:20 बजे, सम्पर्क दो यानी आंतरिक अन्तः प्रवेश प्रातः 03:57:08 बजे, सूर्योदय प्रातः05:19:43 बजे,महत्तम पारगमन अवस्था प्रातः 07:00:55 बजे, सम्पर्क तीन यानी आंतरिक निर्गमन प्रातः 10:05:10 बजे, सम्पर्क चार यानी बाह्य निर्गमन प्रातः 10:22:30 बजे होगा।
दर्शन लाल (मैं) विज्ञान अध्यापक ने बताया कि हम सूर्योदय से लेकर सम्पर्क चार सम्पर्क चार यानी बाह्य निर्गमन प्रातः 10:22:30 बजे तक शुक्र पारगमन अवलोकन का आनंद उठा सकते हैं। यह अवलोकन कुल पारगमन का 57% होगा और पारगमन का पथ हॉकी स्टिक की तरह होगा। अगर हम इस दुर्लभ खगोलीय घटना को इस बार चूक गए तो अगला शुक्र पारगमन 11 दिसंबर 2117 में होगा। कोई भी वर्तमान व्यक्ति अपने जीवन में 2117 का शुक्र पारगमन नहीं देख सकता।
उन्होंने बताया कि किसी भी अवस्था में सूर्य को सीधे नहीं देखना है नहीं तो आँखों को भारी क्षति पहुँच सकती है। केवल सौर डिस्क का प्रक्षिप्त बिम्ब देंखे। दूरबीन/बाइनाक्यूलर और पिनहॉल कैमरा से सूर्य के बिम्ब का प्रेक्षेपण पिन होल,दूरबीन या बाइनाक्यूलर की एक जोड़ी द्वारा एक छायादार दीवार पर सूर्य के प्रतिबिम्ब को प्रेक्षिपित करें। केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गये सौर फिल्टर का इस्तेमाल करक ही सूर्य की ओर देखना चाहिए।
लगभग सारे देश के लिए शुक्र पारगमन 6 जून 2012 की समय सारणी इस प्रकार है। सम्पर्क एक यानी बाह्य अन्तः प्रवेश प्रातः 03:39:20 बजे, सम्पर्क दो यानी आंतरिक अन्तः प्रवेश प्रातः 03:57:08 बजे, सूर्योदय प्रातः05:19:43 बजे,महत्तम पारगमन अवस्था प्रातः 07:00:55 बजे, सम्पर्क तीन यानी आंतरिक निर्गमन प्रातः 10:05:10 बजे, सम्पर्क चार यानी बाह्य निर्गमन प्रातः 10:22:30 बजे होगा।
दर्शन लाल (मैं) विज्ञान अध्यापक ने बताया कि हम सूर्योदय से लेकर सम्पर्क चार सम्पर्क चार यानी बाह्य निर्गमन प्रातः 10:22:30 बजे तक शुक्र पारगमन अवलोकन का आनंद उठा सकते हैं। यह अवलोकन कुल पारगमन का 57% होगा और पारगमन का पथ हॉकी स्टिक की तरह होगा। अगर हम इस दुर्लभ खगोलीय घटना को इस बार चूक गए तो अगला शुक्र पारगमन 11 दिसंबर 2117 में होगा। कोई भी वर्तमान व्यक्ति अपने जीवन में 2117 का शुक्र पारगमन नहीं देख सकता।
उन्होंने बताया कि किसी भी अवस्था में सूर्य को सीधे नहीं देखना है नहीं तो आँखों को भारी क्षति पहुँच सकती है। केवल सौर डिस्क का प्रक्षिप्त बिम्ब देंखे। दूरबीन/बाइनाक्यूलर और पिनहॉल कैमरा से सूर्य के बिम्ब का प्रेक्षेपण पिन होल,दूरबीन या बाइनाक्यूलर की एक जोड़ी द्वारा एक छायादार दीवार पर सूर्य के प्रतिबिम्ब को प्रेक्षिपित करें। केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गये सौर फिल्टर का इस्तेमाल करक ही सूर्य की ओर देखना चाहिए।
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