क्या सदेह अमरता संभव है ???
वैज्ञानिक रे कुर्व्जील बाएँ और उनके द्बारा दिखाया गया अमरता का चेहरा
अनेक पुराकथाओं में मनुष्य की अमृत कलश खोजने -मिलने के वृत्तांत भरे पड़े हैं. समुद्र मंथन से निकला अमृत कलश तो देवताओं और दानवों के बीच के बटवारे में रीत गया! अब आम मनुष्य को कहाँ से मिले अमृत जिससे वे भी अमरता का लुत्फ़ उठा सकें ? निगाहें निश्चित तौर पर वैज्ञानिकों की ओर उठी हुयी हैं. लगता भी है की वैज्ञानिक जनता जनार्दन को निराश नहीं करेगें ! आये दिन अमरता की दिशा में शोधों के जरिये बड़ते क़दमों की पदचापें सुनने को मिल जाती हैं। नया दावा अमेरिकी वैज्ञानिक रे कुर्जवील का है कि नैनो टेक्नोलाजी प्रविधियों की मदद से मनुष्य अगले 20 सालों में अमर हो सकता है। क्योंकि नैनो तकनीक के चलते अगले दो दशकों में शारीरिक क्रियाविधि को लेकर हमारी समझ भी खासी बढ़ जाएगी। 61 वर्षीय कुर्जवील का कहना है कि खुद उनका और उनके साथी वैज्ञानिकों का मानना है कि आगामी लगभग 20 सालों में हम युगों से चले आ रहे शरीर के प्रोग्राम को बदल देंगे। यानि नैनोटेक्नोलाजी की मदद से शरीर की मूलभूत क्रियाविधि बदली जा सकेगी। इससे उम्र का बढ़ना भी रुक जाएगा और तब हम बुढ़ापे पर विराम या जवानी को लौटा सकेंगे।'
दरअसल जानवरों में रक्तकणिकाओं के आकार की पनडुब्बियों (नैनोबोट्स ) का परीक्षण किया जा चुका है। पहले से ही इन नैनोबोट्स का प्रयोग बिना आपरेशन किए ट्यूमर और थक्के को दूर करने में अआर्म्भ हो चुका है . जल्द ही ये नैनोबोट्स रक्तकणिकाओं का स्थान ले लेंगी। यही नहीं रक्तकणिकाओं की तुलना में ये नैनोबोट्स हजार गुना ज्यादा प्रभावकारी होंगी।माना जा रहा है की "ला आफ एक्सेलेरेटिंग रिटंर्स" पर अवधारित इस तकनीक में अगले 25 सालों में इंसान की तकनीकी क्षमता अरबों गुना बढ़ जाएगी। बिना सांस लिए मनुष्य का 15 मिनट में मैराथन या चार घंटे तक स्कूबा डाइविंग संभव होगा !
रे कुर्वजील के अनुसार 2150 तक जाते जाते मनुष्य के शरीर व मस्तिष्क की सूचनाओं को जानने के लिए अच्छा खासा बैकअप विकसित कर लिया जाएगा । शरीर की कोई भी क्रियाविधि अनछुई नहीं रह जाएगी। स्पष्ट है सारी चीजें ज्ञात होने की स्थिति में इंसान अमर तो हो ही जाएगा। नैनो तकनीक के दम पर इंसान के मस्तिष्क की क्षमता इतनी बढ़ जाएगी कि वह कुछ मिनटों में पूरी किताब लिख सकेगा ।आदि आदि !
तो क्या इन वैज्ञानिकों के प्रयास उस शायर के इस दावे को खारिज ही कर देगें की लाख जिन्दा हम रहेगें फिर भी मर जायेगें हम !
वैज्ञानिक रे कुर्व्जील बाएँ और उनके द्बारा दिखाया गया अमरता का चेहरा
अनेक पुराकथाओं में मनुष्य की अमृत कलश खोजने -मिलने के वृत्तांत भरे पड़े हैं. समुद्र मंथन से निकला अमृत कलश तो देवताओं और दानवों के बीच के बटवारे में रीत गया! अब आम मनुष्य को कहाँ से मिले अमृत जिससे वे भी अमरता का लुत्फ़ उठा सकें ? निगाहें निश्चित तौर पर वैज्ञानिकों की ओर उठी हुयी हैं. लगता भी है की वैज्ञानिक जनता जनार्दन को निराश नहीं करेगें ! आये दिन अमरता की दिशा में शोधों के जरिये बड़ते क़दमों की पदचापें सुनने को मिल जाती हैं। नया दावा अमेरिकी वैज्ञानिक रे कुर्जवील का है कि नैनो टेक्नोलाजी प्रविधियों की मदद से मनुष्य अगले 20 सालों में अमर हो सकता है। क्योंकि नैनो तकनीक के चलते अगले दो दशकों में शारीरिक क्रियाविधि को लेकर हमारी समझ भी खासी बढ़ जाएगी। 61 वर्षीय कुर्जवील का कहना है कि खुद उनका और उनके साथी वैज्ञानिकों का मानना है कि आगामी लगभग 20 सालों में हम युगों से चले आ रहे शरीर के प्रोग्राम को बदल देंगे। यानि नैनोटेक्नोलाजी की मदद से शरीर की मूलभूत क्रियाविधि बदली जा सकेगी। इससे उम्र का बढ़ना भी रुक जाएगा और तब हम बुढ़ापे पर विराम या जवानी को लौटा सकेंगे।'
दरअसल जानवरों में रक्तकणिकाओं के आकार की पनडुब्बियों (नैनोबोट्स ) का परीक्षण किया जा चुका है। पहले से ही इन नैनोबोट्स का प्रयोग बिना आपरेशन किए ट्यूमर और थक्के को दूर करने में अआर्म्भ हो चुका है . जल्द ही ये नैनोबोट्स रक्तकणिकाओं का स्थान ले लेंगी। यही नहीं रक्तकणिकाओं की तुलना में ये नैनोबोट्स हजार गुना ज्यादा प्रभावकारी होंगी।माना जा रहा है की "ला आफ एक्सेलेरेटिंग रिटंर्स" पर अवधारित इस तकनीक में अगले 25 सालों में इंसान की तकनीकी क्षमता अरबों गुना बढ़ जाएगी। बिना सांस लिए मनुष्य का 15 मिनट में मैराथन या चार घंटे तक स्कूबा डाइविंग संभव होगा !
रे कुर्वजील के अनुसार 2150 तक जाते जाते मनुष्य के शरीर व मस्तिष्क की सूचनाओं को जानने के लिए अच्छा खासा बैकअप विकसित कर लिया जाएगा । शरीर की कोई भी क्रियाविधि अनछुई नहीं रह जाएगी। स्पष्ट है सारी चीजें ज्ञात होने की स्थिति में इंसान अमर तो हो ही जाएगा। नैनो तकनीक के दम पर इंसान के मस्तिष्क की क्षमता इतनी बढ़ जाएगी कि वह कुछ मिनटों में पूरी किताब लिख सकेगा ।आदि आदि !
तो क्या इन वैज्ञानिकों के प्रयास उस शायर के इस दावे को खारिज ही कर देगें की लाख जिन्दा हम रहेगें फिर भी मर जायेगें हम !
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