हिंद महासागर का नाम कैसे पड़ा ?
हिंद महासागर नाम कैसे पड़ा ? और यह कैसे बना ?
हिंद महासागर वह जलराशि है जो उत्तर में ईरान ,पकिस्तान भारत और म्यांमार से पश्चिम में अरब प्राय :द्वीप सुमात्रा औरआस्ट्रेलिया से तथा दक्षिण में सदा बर्फ से ढके रहने वाले अंटार्कटिका महाद्वीप से घिरी हुई है विश्व सागर का एक अंग होने केफलस्वरूप यह अंध महासागर और प्रशांत महासागर से जुडा है ....हिंद महासागर का क्षेत्र फल ७. ३६ .०० ००० वर्ग किलोमीटर है ...यहधरती के कुल क्षेत्र फल का ७ प्रतिशत है और कुल सागरीय क्षेत्र का २० प्रतिशत ..भू वैज्ञानिकों के अनुसार यह महासागरों में सबसेअधिक जटिल सागर है और इसके बारे में उन्हें सबसे कम जानकारी है इसका निर्माण भी भूखंडों के सरकने के फलस्वरूप विभिन्नभूगर्भीय कल्पों के दौरान हुआ था ...जिस घटना ने हिंद महासागर को जन्म दिया ..वह आज से लगभग १६ करोड़ वर्ष पूर्व हुई थी ..
कोई नहीं जानता कि हिंद महासागर का नाम कैसे कब पड़ा ....उस जलराशि को जो एशिया के दक्ष्णि भाग से ले कर अंटार्कटिकामहाद्वीप तक निर्विघ्न फैली है ..यह माना जाता है कि यह नाम आज से लगभग एक हजार वर्ष पहले उन अरब व्यपारियों ने दिया थाजो उस समय नियमित रूप से भारत से व्यपार करते थे उस समय भारत के बंदरगाह अन्य देशों के बन्दरगाहों कि तुलना में बड़े उन्नतऔर अधिक विकसित थे और हमारे व्यापारी पश्चिम के मध्य पूर्व के देशों तक और पूर्व में चीन तक अनेक देशों से व्यपार करते थे..हमारे देश के दक्षिण भाग कि तीन और से घेरे सागर का नामकरण एक बार हिंद सागर हो जाने बाद उसको किसी ने भी बदलने किजरुरत नहीं समझी .वैसे कुछ लोगों ने एक बार इंडोनेशिया सागर नाम से इसको बुलाना चाहा था पर यह नाम प्रचलित नहीं हुआ .हिंदमहासागर के नाम से लोग इसको पहचानते रहे ...इस बारे में उल्लेखनीय बात यह यह कि किसी भी अन्य देश के नाम पर किसीमहासागर का नाम नहीं पड़ा.... उस समय इंग्लॅण्ड के जिसका डंका एक समय में सारे संसार में बजता था इसके नाम पर भी सिर्फ एकचैनल का नामकरण किया गया इंग्लिश चैनल का .... अरब सागर भी छोटा सागर है ..(वैसे भी इसका सही नाम अर्व सागर है. संस्कृत में अर्व का अर्थ होता है घोड़ा . अरबी घोड़े तो सरे संसार में मशहूर है )
हिंद महासागर ही इन मानसून पवनों का जन्मदाता है
मानसून कब आ रही है ..जून महीना शुरू होते ही हर आदमी यही बात करता है ..हिंद महासागर ही इन मानसून पवनों का जन्मदाताहै..... गर्मी में हिंद महासागर का पानी निकटवर्ती थल ,विशेष रूप से गर्म मरुस्थलीय प्रदेशों से अपेक्षाकृत ठंडा होता है ...इस से उसकेऊपर कि वायु भी अपेक्षाकृत ठंडी और अधिक दबाबवाली होती हैं .....वह विशेष रूप से १० डिग्री दक्षिण अक्षांश से ऊपर वाले क्षेत्र सेगर्म मरुस्थलों की और बहने लगती हैं ....हवा गर्मी की मानसून कहलाती हैं हमारे देश में अरब सागर से आने वाली पवन आमतौर सेदक्षिण पश्चिम दिशा से आती हैं जबकि बंगाल की खाड़ी से आने वाली पवन दक्षिण दिशा से सागर ही गर्मी के मानसून के मुख्य कारणहै ...
हमें गर्व है कि हमारे देश के नाम पर एक ऐसा महासागर है जो आज भी सभी के लिए जिज्ञासा का विषय है।
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