तक्षशिला विश्वविद्यालय
तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी।
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 33°44'45"; पूर्व- 72°47'15" मार्ग स्थिति पश्चिमी पाकिस्तान की राजधानी रावलपिण्डी से 18 मील उत्तर की ओर और इस्लामाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भारत में दुनिया के पहले विश्वविद्यालय'तक्षशिला विश्वविद्यालय'की स्थापना सातवीं शती ईसा पूर्व हो गयी थी। यह समय नालन्दा विश्वविद्यालय सेलगभग 1200 वर्ष पहले था। 'तेलपत्त'और'सुसीमजातक' में तक्षशिला को काशी से 2,000 कोस दूर बताया गया है। जातकों में तक्षशिला के महाविद्यालय की भी अनेक बार चर्चा हुई है। यहाँ अध्ययन करने के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी आते थे। भारत के ज्ञात इतिहास का यह सर्वप्राचीन विश्वविद्यालय था। इस विश्वविद्यालय में राजा और रंक सभी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार होता था। जातक कथाओं से यह भी ज्ञात होता है कि तक्षशिला में' धनुर्वेद' तथा' वैद्यक' तथ ा अन्य विद्याओं की ऊंची शिक्षा दी जाती थी।
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 33°44'45"; पूर्व- 72°47'15" मार्ग स्थिति पश्चिमी पाकिस्तान की राजधानी रावलपिण्डी से 18 मील उत्तर की ओर और इस्लामाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भारत में दुनिया के पहले विश्वविद्यालय'तक्षशिला विश्वविद्यालय'की स्थापना सातवीं शती ईसा पूर्व हो गयी थी। यह समय नालन्दा विश्वविद्यालय सेलगभग 1200 वर्ष पहले था। 'तेलपत्त'और'सुसीमजातक' में तक्षशिला को काशी से 2,000 कोस दूर बताया गया है। जातकों में तक्षशिला के महाविद्यालय की भी अनेक बार चर्चा हुई है। यहाँ अध्ययन करने के लिए दूर-दूर से विद्यार्थी आते थे। भारत के ज्ञात इतिहास का यह सर्वप्राचीन विश्वविद्यालय था। इस विश्वविद्यालय में राजा और रंक सभी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार होता था। जातक कथाओं से यह भी ज्ञात होता है कि तक्षशिला में' धनुर्वेद' तथा' वैद्यक' तथ
स्थापना तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमानपश्चिमी पाकिस्तान की राजधानी रावलपिण्डी से 18 मील उत्तर की ओरस्थित था। जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसके बारे में कहा जाता है कि श्री राम के भाई भरत के पुत्र'तक्ष'ने उस नगर की स्थापना की थी।
- यह विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व मेंकी गई थी।
- तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10,500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे।
- यहां 60 से भी अधिक विषयों को पढ़ाया जाता था।
- 326 ईस्वी पूर्व में विदेशी आक्रमणकारी सिकन्दर के आक्रमण के समय यह संसार का सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय ही नहीं था, अपितु उस समय के'चिकित्सा शास्त्र'का एकमात्र सर्वोपरि केन्द्र था।
- आयुर्वेद विज्ञान का सबसे बड़ा केन्द्र
500 ई. पू. जब संसार में चिकित्सा शास्त्र की परंपरा भी नहीं थी तब तक्षशिला'आयुर्वेद विज्ञान'का सबसे बड़ा केन्द्र था। जातक कथाओं एवं विदेशी पर्यटकों के लेख से पता चलता है कि यहां के स्नातक मस्तिष्क के भीतर तथा अंतड़ियों तक का ऑपरेशन बड़ी सुगमता से कर लेते थे। अनेक असाध्य रोगों के उपचार सरल एवं सुलभ जड़ी बूटियों से करते थे। इसके अतिरिक्त अनेक दुर्लभ जड़ी-बूटियों का भी उन्हें ज्ञान था। शिष्य आचार्य के आश्रम में रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक आचार्य के पास अनेक विद्यार्थी रहते थे। इनकी संख्या प्राय: सौ से अधिक होती थी और अनेक बार 500 तक पहुंच जाती थी। अध्ययन में क्रियात्मक कार्य को बहुत महत्त्व दिया जाता था। छात्रों को देशाटन भी कराया जाता था।
शुल्क और परीक्षा
शिक्षा पूर्ण होने पर परीक्षा ली जाती थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय से स्नातक होना उससमय अत्यंत गौरवपूर्ण माना जाता था। यहां धनी तथा निर्धन दोनों तरह के छात्रों के अध्ययन की व्यवस्था थी। धनी छात्रा आचार्य को भोजन, निवास और अध्ययन का शुल्क देते थे तथा निर्धन छात्र अध्ययन करते हुए आश्रम के कार्य करते थे। शिक्षा पूरी होने पर वे शुल्क देने की प्रतिज्ञा करते थे। प्राचीन साहित्य से विदित होता है कि तक्षशिला विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले उच्च वर्ण के ही छात्र होते थे। सुप्रसिद्ध विद्वान, चिंतक, कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री चाणक्य ने भी अपनी शिक्षा यहीं पूर्ण की थी। उसके बाद यहीं शिक्षण कार्य करने लगे। यहीं उन्होंने अपने अनेक ग्रंथों की रचना की। इस विश्वविद्यालय की स्थिति ऐसे स्थान पर थी, जहां पूर्व और पश्चिम से आने वाले मार्ग मिलते थे। चतुर्थ शताब्दी ई. पू. से ही इस मार्ग से भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमण होने लगे। विदेशी आक्रांताओं ने इस विश्वविद्यालय को काफ़ी क्षति पहुंचाई। अंतत: छठवीं शताब्दी में यह आक्रमणकारियों द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिया।
शिक्षा पूर्ण होने पर परीक्षा ली जाती थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय से स्नातक होना उससमय अत्यंत गौरवपूर्ण माना जाता था। यहां धनी तथा निर्धन दोनों तरह के छात्रों के अध्ययन की व्यवस्था थी। धनी छात्रा आचार्य को भोजन, निवास और अध्ययन का शुल्क देते थे तथा निर्धन छात्र अध्ययन करते हुए आश्रम के कार्य करते थे। शिक्षा पूरी होने पर वे शुल्क देने की प्रतिज्ञा करते थे। प्राचीन साहित्य से विदित होता है कि तक्षशिला विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले उच्च वर्ण के ही छात्र होते थे। सुप्रसिद्ध विद्वान, चिंतक, कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री चाणक्य ने भी अपनी शिक्षा यहीं पूर्ण की थी। उसके बाद यहीं शिक्षण कार्य करने लगे। यहीं उन्होंने अपने अनेक ग्रंथों की रचना की। इस विश्वविद्यालय की स्थिति ऐसे स्थान पर थी, जहां पूर्व और पश्चिम से आने वाले मार्ग मिलते थे। चतुर्थ शताब्दी ई. पू. से ही इस मार्ग से भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमण होने लगे। विदेशी आक्रांताओं ने इस विश्वविद्यालय को काफ़ी क्षति पहुंचाई। अंतत: छठवीं शताब्दी में यह आक्रमणकारियों द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिया।
स्थिति
उस काल में तक्षशिला एक विख्यात विश्वविद्यालय था, जो सिंधु नदी के किनारे बसे नगर के रूप में था। विश्वविद्यालय में प्रख्यात विद्वान तथा विशेषज्ञ शिक्षकों के रूप में छात्रों को शिक्षा देते थे। तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से राजकुमार, शाही परिवारों के पुत्र, ब्राह्मणों , विद्वानों, धनी लोगों तथा उच्च कुलों के बेटेआते थे। तक्षशिला आजकल पाकिस्तान में है। पुरातत्त्व खुदाई में विश्वविद्यालय का पूरा चित्र उभरकर सामने आया है। तक्षशिला में दस हज़ार छात्रों के आवास व पढ़ाई की सुविधाएँ थीं। शिक्षकोंकी संख्या का सहज ही अनुमान लगायाजा सकता है। विश्वविद्यालय में आवास कक्ष, पढ़ाई के लिए कक्ष, सभागृह और पुस्तकालय थे। तक्षशिला के अवशेषों को देखने के लिए आज प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटक, इतिहासकार तथा पुरातत्त्ववेत्त ा तक्षशिला जातेहैं।
उस काल में तक्षशिला एक विख्यात विश्वविद्यालय था, जो सिंधु नदी के किनारे बसे नगर के रूप में था। विश्वविद्यालय में प्रख्यात विद्वान तथा विशेषज्ञ शिक्षकों के रूप में छात्रों को शिक्षा देते थे। तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से राजकुमार, शाही परिवारों के पुत्र, ब्राह्मणों , विद्वानों, धनी लोगों तथा उच्च कुलों के बेटेआते थे। तक्षशिला आजकल पाकिस्तान में है। पुरातत्त्व खुदाई में विश्वविद्यालय का पूरा चित्र उभरकर सामने आया है। तक्षशिला में दस हज़ार छात्रों के आवास व पढ़ाई की सुविधाएँ थीं। शिक्षकोंकी संख्या का सहज ही अनुमान लगायाजा सकता है। विश्वविद्यालय में आवास कक्ष, पढ़ाई के लिए कक्ष, सभागृह और पुस्तकालय थे। तक्षशिला के अवशेषों को देखने के लिए आज प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटक, इतिहासकार तथा पुरातत्त्ववेत्त ा तक्षशिला जातेहैं।
पाठ्यक्रम
*. उस समय विश्वविद्यालय कई विषयों के पाठ्यक्रम उपलब्ध करता था, जैसे - भाषाएं , व्याकरण, दर्शन शास्त्र , चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, कृषि , भूविज्ञान, ज्योतिष, खगोल शास्त्र, ज्ञान-विज्ञान, समाज-शास्त्र, धर्म , तंत्र शास्त्र, मनोविज्ञान तथा योगविद्या आदि।
*. उस समय विश्वविद्यालय कई विषयों के पाठ्यक्रम उपलब्ध करता था, जैसे - भाषाएं , व्याकरण, दर्शन शास्त्र , चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, कृषि , भूविज्ञान, ज्योतिष, खगोल शास्त्र, ज्ञान-विज्ञान, समाज-शास्त्र, धर्म , तंत्र शास्त्र, मनोविज्ञान तथा योगविद्या आदि।
- विभिन्न विषयों पर शोध का भी प्रावधान था।
- शिक्षा की अवधि 8 वर्ष तक की होती थी।
- विशेष अध्ययन के अतिरिक्त वेद , तीरंदाजी, घुड़सवारी, हाथी का संधान व एक दर्जन से अधिक कलाओं की शिक्षा दी जाती थी।
- तक्षशिला के स्नातकों का हर स्थान पर बड़ा आदर होता था।
- यहां छात्र 15-16 वर्ष की अवस्था में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने आते थे। स्वाभाविक रूप से चाणक्य को उच्च शिक्षा की चाह तक्षशिला ले आई।
- यहां चाणक्य ने पढ़ाई में विशेष योग्यता प्राप्त की।
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