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Saturday, August 31, 2013

गंगाजल में पांच हजार कीटाणु खत्म करने की ताकत


गंगा तेरा पानी अमृत...यह महज भजन नहीं है जो गंगा घाटों पर आपको सुनाई देता है, बल्कि असल में भी गंगा का पानी किसी अमृत से कम नहीं हैं।
वैज्ञानिक शोध और जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि गंगाजल में कीटाणुओं को खत्म करने की ताकत है। वह भी एक या दो नहीं बल्कि पूरे पांच हजार पांच सौ कीटाणुओं को गंगाजल महज तीन घंटे में नष्ट कर देता है।
केंद्रीय जल आयोग की जांच रिपोर्ट में गंगाजल में जिस बैक्टीरियोफाजिल्स (सूक्ष्म गंगा प्रहरी) के होने की बात सामने आई है। 117 साल पहले फ्रांस के ‘पासचर इंस्टीट्यूट’ में हुई रिसर्च में भी इसी बैक्टीरियोफाजिल्स की मौजूदगी आई थी।
गंगा का यह सूक्ष्म प्रहरी सदियों से निरंतर कीटाणुओं से लड़कर उन्हें नष्ट कर रहा है। इसी कारण गंगा की पवित्रता तमाम प्रदूषण के बाद भी बरकरार है।

फ्रांसीसी वैज्ञानिक कर चुके हैं शोध

18वीं सदी में फ्रांसीसी वैज्ञानिक हैनबरी हैकिन ने आगरा से गंगा और यमुना के जल के नमूने लिए और फ्रांस के ‘पासचर इंस्टीट्यूट’ में इनकी जांच की थी।
जांच के परिणामों की उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे 1894 में ‘इंडियन मेडिकल कांग्रेस’ के सेमिनार में ‘ऑन दि माइक्रोब्स ऑफ इंडियन रिवर्स’ विषय पर तैयार की गई रिपोर्ट को पढ़ा गया। इसमें कहा गया कि गंगा और यमुना नदियों का जल अन्य नदियों की अपेक्षा अधिक शुद्ध है।

बैक्टीरियोफाजिल्स नष्ट करते हैं कीटाणु

इन दोनों नदियों के जल में कुछ ऐसे तत्व (बैक्टीरियोफाजिल्स) हैं, जिनमें कीटाणुओं को नष्ट कर देने की शक्ति है। यदि जल को गर्म कर दिया जाए तो यह शक्ति कम हो जाती है।
परीक्षण में गंगा और कुएं के जल को लिया गया। गंगाजल में 5500 कीटाणुओं को डाला गया, जो तीन घंटे में ही पूरी तरह साफ हो गए। जबकि कुएं के पानी में कीटाणु लगातार बढ़ते गए।
नदी में प्रवाहित किए जाने वाले मुर्दे के पास से भी सैंपल लिए गए। शोध में पाया गया मुर्दे के खतरनाक बैक्टीरिया को भी इन नदियों के जल ने नष्ट कर दिया।

1950 में प्रकाशित ‘कल्याण’ में है वर्णन

गंगाजल पर हुए रिसर्च का वर्णन जनवरी 1950 में प्रकाशित हुई कल्याण पत्रिका के विशेषांक में पेज नंबर 693 से 696 तक ‘श्रीगंगा और यमुना का जल’ विषय पर पंडित श्री गंगाशंकर जी के लेख में विस्तार से दिया गया है।
बीएसएम पीजी कालेज रुड़की के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सम्राट सुधा के पास यह पुस्तक मौजूद है। इसी पुस्तक से यह सब जानकारी दी गई है

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INDIA-RUSSIA, India
Researcher of Yog-Tantra with the help of Mercury. Working since 1988 in this field.Have own library n a good collection of mysterious things. you can send me e-mail at alon291@yahoo.com Занимаюсь изучением Тантра,йоги с помощью Меркурий. В этой области работаю с 1988 года. За это время собрал внушительную библиотеку и коллекцию магических вещей. Всегда рад общению: alon291@yahoo.com