सूर्यपुत्र कर्ण, महारथी कर्ण, दानवीर कर्ण, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कर्ण, राधेय, वसुषेण ऐसे कितने ही नामोँ से पुकारा जाने वाले इस महान यौद्धा के महाभारत के युग मेँ जन्म के साथ ही दुर्भाग्य ने अन्त तक उसका पीछा नहीँ छोड़ा। नियती कदम कदम पर उसके साथ क्रूर खेल खेलती रही। जिस कारण धर्म के पक्ष मेँ खड़े होने वाले इस महारथी को धर्म विरुद्ध युद्ध लड़ने के लिए विवश होना पड़ा। नियती ने कदम कदम पर उसे उस अपराध का दण्ड दिया जो उसने किया ही नहीँ था जिसमेँ उसका कोई कसूर नहीँ था। शायद महाभारत का कोई सबसे वीर, शक्तिशाली तथा कारुणिक पात्र यही है।