Friday, May 17, 2013



मायावी जगत : विज्ञान की दृष्टि  से 

क्या आपका जिस्मआपके हाथ पैर वगैरा असली हैंक्या हमारे आसपास की चीज़ों का वजूद वास्तव में हैअगर कोई इन सवालोंका जवाब नहीं में देता है तो आप यही समझेंगे कि वह या तो कोई हिमालय की गुफा में तपस्या करने वाला सन्यासी है या फिर कोईआध्यात्मिक गुरू जो सारे संसार को एक माया बता रहा है।

लेकिन आप गलती पर हैं। इन सवालों के जवाब ‘नहीं’ में दे रहा है आधुनिक विज्ञान।मौजूदा क्वांटम भौतिकी कहती है कि पदार्थ का कोई अस्तित्व वास्तव में नहीं है।बल्कि जो कुछ भी है सिर्फ ऊर्जा है। भौतिक विज्ञानियों का कहना है कि पदार्थ के कण दरअसल क्वांटम निर्वात (Quantum Vacuum) में एक तरंह की थरथराहट या कंपन (Fluctuations) होते हैं।

हम जानते हैं कि कोई भी पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना होता है। और इन परमाणुओं का अधिकाँश द्रव्यमान उनके केन्द्र में मौजूद प्रोटॉनों  न्यूट्रानों के कारण होता है। ये कण पदार्थ के मूल कण कहलाते हैं।इनमें से प्रत्येक मूल कण यानि प्रोटॉन या न्यूट्रान पुनतीन उप-मूल कणों से मिलकर बना होता है। जिन्हें क्वार्क (Quark) कहते हैं।इन क्वार्कों का द्रव्यमान भी नापा जा चुका है।

मज़े की बात ये है कि जब तीनों क्वार्कों का कुल द्रव्यमान लिया जाता है तो वह उसमूल कण से बहुत ही कम यानि एक प्रतिशत आता है जिस कण को वे क्वार्क मिलकरबनाते हैं। यानि कण का निन्यानवे प्रतिशत द्रव्यमान किसी अन्य कारण से पैदा होता है।

अब क्वांटम नजरिया ये बताता है कि यह द्रव्यमान एक बल द्वारा पैदा ता है जो क्वार्कों को आपस में जोड़ता है। यह बल है उच्चनाभिकीय बल। 
यह बल मायावी (Virtual) कणों के एक मैदान द्वारा पैदा होता है  
जिन्हें ग्लूऑन नाम दिया गया है। ये कण मैदान में कहीं भी क्षण भर के लिए प्रकट होते हैंऔर फिर फौरन ही गायब हो जाते हैं। 
इसी को कहते हैं क्वांटम थरथराहट (Quantum Fluctuation)
इस थरथराहट से पैदा हुई ऊर्जा प्रोटॉन और न्यूट्रान के द्रव्यमान में जुड़ जाती है। चूंकि ग्लूआन का द्रव्यमान शून्य होता हैअर्थात ये पदार्थिक कण नहीं होते। इनमें केवल ऊर्जा होती है। यही ऊर्जा ये मूल कण के द्रव्यमान में जोड़कर स्वयं गायबहो जाते हैं। एक ग्लूआन कितना द्रव्यमान जोड़ता हैयह मालूम होता है आइंस्टीन के द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण द्वारा E=mc2
जहां E ग्लूआन द्वारा उत्पन्न ऊर्जा है और m मूल कण के द्रव्यमान में वृद्धि है।

लेकिन समस्या अब वैज्ञानिकों के सामने यह है कि ग्लूआन की ऊर्जा नापना कोई आसान काम नहीं है। 
ग्लूआन सम्बन्धी अध्ययन के लिए भौतिकी की जो शाखा नवनिर्मित हैउसका नाम है क्वांटम क्रोमोडायनामिक्स (Quantum Chromodynamics) या QCD
इस शाखा में कुछ समीकरणों द्वारा उच्च नाभिकीय बल को इंगित किया जाता है। इन समीकरणों के हल द्वारा ग्लूआन की ऊर्जा नापी जा सकती है। लेकिन इन समीकरणों को हल करना अत्यन्त मुश्किल है।

अतउसकी गणना के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका निकाला हैजिसमें स्पेस-समय को बिन्दुओं में विभाजित कर दिया जाता हैऔर इस तरंह पूरे क्वांटम मैदान का बिन्दुवार अध्ययन हो जाता है। बिन्दुओं का ये विभाजन कुछ इस प्रकार होता है जैसे आप आफसेट प्रिंटिंग में कोई रंगीन चित्र देखें तो वह ढेर सारे महीन बिन्दुओं से मिलकर बना दिखाई देगा।

निर्वात में मायावी ग्लूआन्स के अलावा भी बहुत कुछ होता है। ये हैं क्वार्क-एण्टीक्वार्क के जोड़े। ये जोड़े भी मायावी होते हैंइनकी वास्तविक संख्या तो प्रोटान और न्यूट्रान मेंनिश्चित होती है। अर्थात तीनकिन्तु ये स्वयं लगातार बदलते रहते हैं। इसे यूं समझियेकि एक कमरे में हमेशा तीन व्यक्ति मौजूद रहते हैं। लेकिन साथ ही बाहर से उनकीअदला बदली भी होती रहती है। किसी प्रोटान में यह काम अन्दर ही होता रहता है।  

अब एक सवाल और पैदा होता है। जिस तरंह प्रोटान और न्यूट्रान के द्रव्यमान में पदार्थिक कण क्वार्क और मायावी कण ग्लूआन शामिल हैक्या इसी तरंह क्वार्क भीमायावी कणों से मिलकर बने हैंजिनका द्रव्यमान शून्य हो और वे केवल ऊर्जा प्रदानकर गायब हो जाते हैंवैज्ञानिकों ने इसका उत्तर सकारात्मक दिया है। और इन मायावी कणों को नाम दिया गया है हिग्स बोसॉन (Higgs Boson) 

फिलहाल वैज्ञानिक हिग्स बोसॉन की खोज में जोर शोर से जुटे हुए हैं। और इसके लिए यूरोपियन न्यूक्लियर रिसर्च संस्था सर्न नेस्विट्जरलैण्ड में एक विशालकाय प्रयोगशाला तैयार की है लार्ज हेड्रान कोलायडर नाम से। जिस दिन ये खोज पूरी हो जायेगीउस दिन यह पक्का हो जायेगा कि हमारा शरीर और इस दुनिया में मौजूद हर चीज़ केवल माया है। मायावी कणों द्वारा उत्पन्न मात्र ऊर्जा के जिस्म। लेकिन इसके बावजूद इस वास्तविकता को  भूलियेगा कि पत्थर से ठोकर लगने पर चोट जरूर लगेगी।


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