Monday, September 3, 2012



जिस समय न्यूटन के पूर्वज जंगली लोग थे, उस समय महर्षि 

भास्कराचार्य ने प्रथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच 

डाला था. किन्तु आज हमें कितना बड़ा झूठ पढ़ना पड़ता है कि 

गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज न्यूटन ने की, ये हमारे लिए शर्म की बात 

है.





भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी 

विचित्र है।


मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो

विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।


- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश

आगे कहते हैं-

आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं

गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।

आकृष्यते तत्पततीव भाति

समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।

- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश


अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी 

पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर 

गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई 

कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों 

की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं। ऐसे ही अगर यह कहा जाय 

की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ 

ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके 

प्रमाण उपलब्ध हैं ! आवश्यकता स्वभाषा में विज्ञान की शिक्षा दिए जाने 

की है !

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