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Monday, May 4, 2015

यदि आप 2025 तक जीवित बचते हैं

सही कहा जाये । तो इस समय कुछ भी लिखने या अन्य माध्यम से कोई जागरूकता फ़ैलाने से कुछ भी होने वाला नहीं है । क्योंकि भले ही आपको मालूम न हो । पर धर्म क्षेत्र में पक्ष विपक्ष की सेनायें युद्ध भूमि में तैनात हैं । बहुत पहले से हैं । वे मतिमन्द हैं । जो किसी चमत्कार अवतार की प्रतीक्षा में है । आपको आश्चर्य होगा । पर इसकी शुरूआत लगभग साठ वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी । ये मैं युद्ध के निर्णय और निर्णयात्मक वार्ता की बात कर रहा हूँ । जो कि किसी भी युद्ध से पूर्व संवैधानिक और सामाजिक औपचारिकता का व्यवहारिक नियम सा होता है ।
यदि आपको धृतराष्ट दुर्योधन आदि की याद हो । तो इनकी अधर्म के लिये अतिवादिता और भी पहले से लगभग मुगलकाल से ही चली आ रही है ।
तब यदि निष्पक्ष और साक्षी भाव से यदि आप पिछले साठ सालों को देखें । तो आपको हर चीज चरम के पतन पर दिखाई देगी । यदि आप विज्ञान की बेतहाशा प्रगति की बात करें । तो विज्ञान ने एक सभ्य सुसंस्कृत समाज 

बनाने के बजाय राक्षसी प्रवृतियों को ही अधिक बढाया है । भौतिकवाद इस कदर हावी हुआ कि लगभग हर वस्तु को निगल गया । ऐसी तमाम चीजों का आप पिछले साठ सालों का ही अध्ययन करें । तो हवा , पानी , भोजन , स्थान सभी कुछ सङे घाव की तरह कीङों से बिजबिजा रहे हैं । मनुष्य बुद्धि के स्तर पर आपको भले ही यह बात हवा हवाई लगती हो । पर सच यही है कि प्रथ्वी की हालत इस समय अर्जुन के उस दिव्य रथ के समान ही है । जो अनेकों दिग्गजों की भीषण मार से चकनाचूर तो हो गया था । पर श्रीकृष्ण और हनुमान की योग शक्तियों से दिखावटी अस्तित्व रूप बचा हुआ था । कम से कम मुझे तो कोई हैरानी नहीं है कि अभी प्रथ्वी की यही हालत है । अलौकिक अदृश्य शक्तियों के सहारे से ही प्रथ्वी पर जीवन की क्रियायें और जनजीवन भले ही गम्भीर रोगी की अवस्था में सही पर चल रहा है ।
पर मरणासन्न रोगी और थके घायल योद्धा बहुत लम्बे समय तक संघर्ष नहीं कर सकते । कभी न कभी तो वह वक्त आता ही है । जब वह अन्तिम अंजाम पर पहुँचते हैं ।
मैं आपको सही बताऊँ । तो ज्योतिष विज्ञान में मुझे कोई खास महारत हासिल नहीं है । मैंने कभी कभी इसका सामान्य सा अध्ययन ही किया है । लेकिन अभी मैंने कोई ग्रह नक्षत्र की गणना नहीं की । फ़िर भी ज्योतिष के जानकार देख सकते हैं कि - युद्ध का राजा मंगल ग्रह और बीमारी महामारी अशांति आदि का नक्षत्र शनि पूरी

मजबूती के साथ बीते चार दिनों से मैदान में जम गये हैं । और इनकी तीवृ गतिविधियां बढने लगी हैं ।
कोई साधारण ज्ञान वाला भी समझ सकता है कि आज विश्व के क्या हालात हैं । ऐसे में युद्ध महामारी और बीच बीच में प्राकृतिक प्रकोप क्या कहर ढायेंगे । आसानी से सोचा जा सकता है । और व्यक्तिगत तौर पर इससे बचने का कोई उपाय भी नहीं है । जो आप मुझसे उपाय पूछने लगो । वास्तव में जिनका उपाय होना था । हो चुका । अब परिणाम की बारी है । लेकिन फ़िर भी इससे घबराने के बजाय आप अधिकाधिक साहेब की भक्ति यानी सरल भाव से प्रार्थना करें कि वो आपको आने वाली भयानक मुसीबतों से बचाये ।
मेरी जानकारी के अनुसार चार महीने के बाद ही बङी घटनाओं की शुरूआत हो जायेगी । और छोटी मोटी तो अभी से निरंतर होती ही रहेंगी । वास्तव में यह सब दिसम्बर 2012 में ही प्रस्तावित था । पर क्योंकि पिछले दस बीस सालों से अनेक भविष्य वाणियां ( अंश ) प्रलय की बात कह रही थी । इससे उस समय के एकदम निकट आने से जनमानस में वैश्विक स्तर पर घबराहट फ़ैल गयी । और लोग सच्चे भाव से मालिक से प्रार्थना में जुट गये । इससे एकदम सात्विक तरंगों में वृद्धि और जनमत की भावना के चलते वह सब सांकेतिक होकर रह गया । आप देखेंगे । तो ये भी एक तरीका होता है । जिसमें कोई शासन प्रशासन कार्य करता है । यदि हङबङाहट का माहौल बन गया है । तो कार्य को कुछ समय के लिये स्थगित कर देना । और फ़िर ऐसा माहौल बनना । जिसमें सुनवाई की गुंजाइश ही न बचे । और इसके बाद बिना किसी पूर्व सूचना के संयमित अन्दाज में कार्यवाही करना ।
मैंने कई बार बताया है कि ऐसे कार्यों में राजसी कपङे पहने मुकुट वगैरह लगाये । हाथ में धनुष वाण लिये । चक्र गदा आदि लिये कोई देवी देवता नहीं उतरेंगे । ( क्योंकि हर बात देश समाज काल की स्थितियों के अनुसार ही होती है । ) बल्कि प्रमुख मनुष्यों को माध्यम बनाकर आवेश द्वारा ये खेल होगा । जैसे हम रिमोट कंट्रोल से टीवी चलाते हैं ।
किस तरह होगा - सर्वप्रथम धर्म या धर्मगुरुओं के क्षेत्र में जनता को घोर अविश्वास पैदा हो जायेगा । इसको दूसरे शब्दों में यों भी कह सकते हैं कि जनमानस को भृमित करने के लिये नकली धर्मगुरुओं की फ़ौज ही कालपुरुष मैदान में उतार देगा । और इस वजह से उसकी धर्म या भगवान से आस्था ही उठ जायेगी । या संदेह पैदा हो जायेगा । कुछ धर्म समर्थक और कुछ विरोधी अपनी अपनी अज्ञानता और कुतर्कों से भृम फ़ैलाकर ( अपने कार्यों द्वारा भी ) इस आग में घी डालने का काम ही करेंगे । आपको आश्चर्य होगा कि किसी युद्ध में गुप्तचरों की जो भूमिका होती है । वही इनकी ( है ) होगी । क्योंकि वास्तव में ये कालदूत ( आवेशित जीव ) हैं ।   
- राजनेता नीचता बेशर्मी और बेहयाई का पर्याय बन जायेंगे । और सरेआम ( बलात्कार समान - जबरदस्ती किया गया कार्य ) भृष्टाचार के गुणगान करेंगे । यदि धर्म शास्त्र की भाषा में कहें । तो ओजहीन होकर ऊल जलूल क्रियाकलाप करने को विवश हो जायेंगे ।
- पाप अपने सभी अंगों से खुलकर प्रकट हो जायेगा । जीव हत्या बङे पैमाने पर होगी । यह पाप कर्म और उसका आवरण घेरा जीव को सोचने नहीं देगा । और वह अन्त में दुर्गति को प्राप्त होगा ।
- प्रकृति नियमानुसार ऐसी स्थिति में विनाश के लिये तैयार हो जायेगी । और सभी चीजों का नव सन्तुलन बनाकर अपना कार्य करेगी ।
- यदि आप 2025  तक जीवित बचते हैं । तो निसंदेह आप ( युग परिवर्तन जैसी झूठ बात तो मैं नहीं कहता । क्योंकि कलियुग के अभी 17 000 से भी अधिक वर्ष शेष हैं । ) एक खुशहाल हरी भरी और स्थान से भरपूर सभी तरह से समृद्ध उस प्रथ्वी को देखेंगे । जिस पर सिर्फ़ एक ही धर्म की पताका फ़हरा रही होगी । और वह है - सनातन धर्म ।
इसके साथ ही आप बदलाव की उस अदभुत घटना के भी साक्षी होंगे । जो बहुत ही कम जीवों को नसीब होती है । मेरी जानकारी के अनुसार 2025 से 3025 तक एक हजार वर्षों के लिये अस्थायी सतयुग रहेगा । और सिर्फ़ एकमात्र सनातन धर्म को पूर्ण समृद्ध किया जायेगा । यहाँ तक कि वर्तमान में सनातन धर्म का विकृत स्वरूप हिन्दू धर्म भी कहीं खोजे से नहीं मिलेगा । फ़िर और संक्रमित नासूर जैसे धर्मों की तो बात ही क्या की जाये ।

1 comment:

Anonymous said...

ये बात से मै पूरी तरा से सहमत हूँ|
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कई बार बताया है कि ऐसे कार्यों में राजसी कपङे पहने मुकुट वगैरह लगाये । हाथ में धनुष वाण लिये । चक्र गदा आदि लिये कोई देवी देवता नहीं उतरेंगे । ( क्योंकि हर बात देश समाज काल की स्थितियों के अनुसार ही होती है । ) बल्कि प्रमुख मनुष्यों को माध्यम बनाकर आवेश द्वारा ये खेल होगा । जैसे हम रिमोट कंट्रोल से टीवी चलाते हैं ।
सर्वप्रथम धर्म या धर्मगुरुओं के क्षेत्र में जनता को घोर अविश्वास पैदा हो जायेगा । इसको दूसरे शब्दों में यों भी कह सकते हैं कि जनमानस को भृमित करने के लिये नकली धर्मगुरुओं की फ़ौज
और इस वजह से उसकी धर्म या भगवान से आस्था ही उठ जायेगी । या संदेह पैदा हो जायेगा । कुछ धर्म समर्थक और कुछ विरोधी अपनी अपनी अज्ञानता और कुतर्कों से भृम फ़ैलाकर ( अपने कार्यों द्वारा भी ) इस आग में घी डालने का काम ही करेंगे ।
राजनेता नीचता बेशर्मी और बेहयाई का पर्याय बन जायेंगे । और सरेआम ( बलात्कार समान - जबरदस्ती किया गया कार्य ) भृष्टाचार के गुणगान करेंगे । यदि धर्म शास्त्र की भाषा में कहें । तो ओजहीन होकर ऊल जलूल क्रियाकलाप करने को विवश हो जायेंगे ।
- पाप अपने सभी अंगों से खुलकर प्रकट हो जायेगा । जीव हत्या बङे पैमाने पर होगी । यह पाप कर्म और उसका आवरण घेरा जीव को सोचने नहीं देगा । और वह अन्त में दुर्गति को प्राप्त होगा ।
- प्रकृति नियमानुसार ऐसी स्थिति में विनाश के लिये तैयार हो जायेगी । और सभी चीजों का नव सन्तुलन बनाकर अपना कार्य करेगी ।
कलियुग के अभी 17 000 से भी अधिक वर्ष शेष हैं
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ये बात से मै पूरी तरा से सहमत नही हूँ|-----------------------------------
एक खुशहाल हरी भरी और स्थान से भरपूर सभी तरह से समृद्ध उस प्रथ्वी को देखेंगे । जिस पर सिर्फ़ एक ही धर्म की पताका फ़हरा रही होगी । और वह है - सनातन धर्म ।
इसके साथ ही आप बदलाव की उस अदभुत घटना के भी साक्षी होंगे । जो बहुत ही कम जीवों को नसीब होती है । मेरी जानकारी के अनुसार 2025 से 3025 तक एक हजार वर्षों के लिये अस्थायी सतयुग रहेगा । और सिर्फ़ एकमात्र सनातन धर्म को पूर्ण समृद्ध किया जायेगा ।
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क्यों के पाप भी अपनी पूरी तरह से चरम सीमा पे होगा


INTRODUCTION

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INDIA-RUSSIA, India
Researcher of Yog-Tantra with the help of Mercury. Working since 1988 in this field.Have own library n a good collection of mysterious things. you can send me e-mail at alon291@yahoo.com Занимаюсь изучением Тантра,йоги с помощью Меркурий. В этой области работаю с 1988 года. За это время собрал внушительную библиотеку и коллекцию магических вещей. Всегда рад общению: alon291@yahoo.com